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प्रख्यात राजनीती शास्त्र विज्ञानी सैमुअल पी हंटिंगटन के अनुसार शीत युद्धोत्तर काल में वैश्विक स्तर पर संघर्ष का मुख्य कारण लोगों की धार्मिक और सांस्कृतिक पहचान ही होगी|आज पूरे विश्व में २ अरब ४० करोड़ जनसँख्या के साथ पांथिक आधार पर ईसाइयत विश्व का सबसे बड़ा साम्प्रदायिक समूह है, १ अरब ६५ करोड़ जनसँख्या के साथ इस्लाम विश्व का दूसरा सबसे बड़ा साम्प्रदायिक गिरोह है और १ अरब जनसँख्या के साथ हिंदुत्व विश्व की तीसरी सबसे बड़ी धार्मिक विचारधारा है|३७ लाख ६० हजार लोग भगवान बुद्ध में अपनी आस्था व्यक्त करते हैं अर्थात बौद्ध हैं और संसार के १ अरब १२ करोड़ लोग नास्तिक हैं अथवा किसी भी धार्मिक विश्वास को मान्यता नहीं प्रदान करते|संसार के जिस भी देश में इस्लाम अपनी प्रमुख भूमिका निभाता है अथवा यह जिस भी देश में एक राजनैतिक संस्कृति का निर्माण करता है, वह देश, गैर मुस्लिमों को बर्दाश्त ही नहीं कर सकता|शायद यही कारण है जिससे प्रेरित होकर सैमुअल पी हंटिंगटन ने सभ्यताओं के संघर्ष को विश्व राजनीती का एक प्रमुख निर्धारक बताया था|
पूरे भारत में इस्लाम तलवार के बूते फैला किन्तु हमारे महान पूर्वजों ने जहाँ तक हो सका अपने प्राणों की आहुति देकर भी हमारी सभ्यता और संस्कृति को अक्षुण्ण बनाये रखा किन्तु अब हमारा देश इस्लामिक विस्तारवाद के चंगुल में बुरी तरह फंस चुका है और हम आयातित जनसँख्या द्वारा दिए गए दंश को झेलने के लिए विवश हो चुके हैं|
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